गाया है Suman Kalyanpur ने। लिखा है Sahir Ludhianvi ने। गीतायन पर खोजें

असल में

हमें भी नहीं इल्म हम जिसपे रोए
वो बीती रुतें हैं या आता ज़माना

Pradeep ने जैसा सुना/समझा
हमें भी नहीं इल्म हम जिसपे रोए
वो बीती रुतें हैं या आता *ज़नाना*

1 की पसंद - मेरी भी!
अरे! मैंने भी यही समझा था!


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