गाया है शंकर महादेवन ने।
लिखा है गुलज़ार ने।
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असल
में
शहर के उस मोड़ पर, जहाँ से तू "पास" हो
कहे तो मैं ज़िंदगी भर वहीं पे रुकूँ
Pavan Jha ने जैसा सुना/समझा
शहर के उस मोड़ पर, जहाँ से तू *पास* हो
कहे तो मैं ज़िंदगी भर वहीं पे रुकूँ
1
की पसंद - मेरी भी!
2
और ने यही समझा - मैंने
भी!
चर्चा
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