गाया है शंकर महादेवन ने।
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असल
में
मन को अति भावे सैंया, कर ता ता थैया...
मन गाये रे..हाए रे...हाए रे...
विजय वडनेरे ने जैसा सुना/समझा
मने गोवा दिखा दे सैंया, कर ता ता थैया...
मन हाए रे हाए रे हाए रे ....हाए रे..
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की पसंद - मेरी भी!
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और ने यही समझा - मैंने
भी!
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