गाया है आशा, उदित ने। लिखा है जावेद अख्तर ने। गीतायन पर खोजें

असल में

मधुबन में जो कन्हैया किसी गोपी से मिले

विनीत ने जैसा सुना/समझा
मधुबन में जो कन्हैया किसी *को पी* से मिले

बकौल विनीत,
वास्तव में गर ध्यान से सुनें तो आशा जी का उच्चारण "को पी" ही प्रतीत होता है।
मज़ेदार है!
1 और ने यही समझा - मैंने भी!


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